Bade Bhai Sahab Class 10th: NCERT Solutions For Sparsh Chapter 8

Bade Bhai Sahab Class 10th: NCERT Solutions For Sparsh Chapter 8
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Stepping into the pivotal year of class 10th opens up a treasure chest of Hindi literature for students. Among these gems is the humorous and insightful tale of Bade Bhai Sahab. It's a story that many can relate to, depicting the classic banter and deep bonds between siblings. The story is a favorite for many, touching upon the subtleties of family relationships through the eyes of the younger sibling who looks up to his Bade Bhai Sahab or elder brother.

Delving into the Bade Bhai Sahab class 10th question answers is a great way for students to grasp the essence of the narrative. As they navigate through the questions, they learn not only about the text but also life lessons on patience, understanding, and respect. The Bade Bhai Sahab class 10 PDFs and study materials available make this process easier, offering a detailed explanation at the fingertips for both students and educators.

A Bade Bhai Sahab class 10 summary simplifies the narrative, allowing students to quickly understand the storyline and the character dynamics. Summaries are excellent for revision and catching up on the core events of the story. The Bade Bhai Sahab summary provides a snapshot of the whole picture, focusing on the important lessons and the amusing situations the two brothers find themselves in.

For those seeking a deeper understanding, बड़े भाई साहब summary in Hindi gives them the nuances and the cultural context in the language it was originally written in. This helps in appreciating the story's true flavor and the author's intentions behind the characters' dialogues and actions. The Bade Bhai Sahab prashn uttar segment is specifically designed to challenge the student's comprehension and analytical skills, pushing them to think beyond the text.

The बड़े भाई साहब प्रश्न उत्तर is an essential part of the curriculum, as it encourages students to engage with the text on a deeper level, questioning and reasoning the character's behaviors and the story's outcomes. With these resources, the story of Bade Bhai Sahab becomes not just a chapter to study but a medium to learn valuable life skills.

In conclusion, Bade Bhai Sahab in class 10th Hindi is more than just a story; it is an exploration of relationships, responsibilities, and the joys and trials of growing up. Through the question answers and summaries, students don't just prepare for their exams but also for the many roles they play in their own families.

अध्याय- 8: बड़े भाई साहब

पात्र परिचय

bade bhai sahab summary

·       लेखक - तीव्र बुद्धि के थे। पढ़ते कम थे, खेलने-कूदने में ज्यादा ध्यान देते थे। परन्तु कक्षा में प्रथम आते थे। दिनभर खेलने और ना पढ़ने के कारण अपने बड़े भाई से डाँट भी खाते परन्तु वह खेल के मोह का त्याग नहीं कर पाते जिस कारण स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं  आता।

·       बड़े भाई - स्वभाव से बड़े अध्यनशील थे। दिन-रात किताबें खोलकर बैठे रहते। ना पढ़ने वाले छोटे भाई को डाँटा करते और ना पढ़ने से होने वाली हानियों के बारे में भी बताते। अत्यधिक पढ़ने के बावजूद कक्षा में फेल कर जाते थे।

सारांश

(1)

लेखक प्रेमचंद ने इस पाठ में अपने बड़े भाई के बारे में बताया है जो की उम्र में उनसे पाँच साल बड़े थे परन्तु पढाई में केवल तीन कक्षा आगे। लेखक स्पष्टीकरण देते हुए कहते हैं ऐसा नहीं है की उन्होंने बाद में पढ़ाई शुरू की बल्कि वे चाहते थे की उनका बुनियाद मजबूत हो इसलिए एक साल का काम दो-तीन साल में करते यानी उनके बड़े भाई कक्षा पास नही कर पाते थे। लेखक की उम्र नौ साल थी और उनके भाई चौदह साल के थे। वे लेखक की पूरी निगरानी रखते थे जो की उनका जन्मसिद्ध अधिकार था।

बड़े भाई स्वभाव से बड़े अध्यनशील थे, हमेशा किताब खोले बैठे रहते। समय काटने के लिए वो कॉपियों पर तथा किताब के हाशियों पर चित्र बनाया करते, एक चीज़ को बार-बार लिखते। दूसरी तरफ लेखक का मन पढ़ाई में बिलकुल नहीं लगता। अवसर पाते ही वो हॉस्टल से निकलकर मैदान में खेलने आ जाते। खेलकूद कर जब वो वापस आते तो उन्हें बड़े भाई के रौद्र रूप के दर्शन होते। उनके भाई लेखक को डाँटते हुए कहते कि पढ़ाई इतनी आसान नही है, इसके लिए रात-दिन आँख फोड़नी पड़ती है खून जलाना पड़ता है तब जाकर यह समझ में आती है। अगर तुम्हें इसी तरह खेलकर अपनी समय गँवानी है तो बेहतर है की घर चले जाओ और गुल्ली-डंडा खेलो। इस तरह यहाँ रहकर दादा की गाढ़ी कमाई के रूपए क्यों बरबाद करते हो? ऐसी लताड़ सुनकर लेखक रोने लगते और उन्हें लगता की पढ़ाई का काम उनके बस का नहीं है परन्तु दो-तीन घंटे बाद निराशा हटती तो फटाफट पढाई-लिखाई की कठिन टाइम-टेबिल बना लेते जिसका वो पालन नहीं कर सकते। खेल-कूद के मैदान उन्हें बाहर खिंच ही लाते। इतने फटकार के बाद भी वो खेल में शामिल होते रहें।

(2)

सालाना परीक्षा में बड़े भाई फिर फेल हो गए और लेखक अपनी कक्षा में प्रथम आये। उन दोनों के बीच अब दो कक्षा की दूरी रह गयी। लेखक के मन में आया की वह भाई साहब को आड़े हाथों लें परन्तु उन्हें दुःखी देखकर लेखक ने इस विचार को त्याग दिया और खेल-कूद में फिर व्यस्त हो गए। अब बड़े भाई का लेखक पर ज्यादा दबाव ना था।

एक दिन लेखक भोर का सारा समय खेल में बिताकर लौटे तब भाई साहब ने उन्हें जमकर डाँटा और कहा कि अगर कक्षा में अव्वल आने पर घमंड हो गया है तो यह जान लो की बड़े-बड़े आदमी का भी घमंड नही टिक पाया, तुम्हारी क्या हस्ती है? अनेको उदाहरण देकर उन्होंने लेखक को चेताया। बड़े भाई ने  कक्षा की अलजबरा, जामेट्री और इतिहास पर अपनी टिप्पणी की और बताया की यह सब विषय बड़े कठिन हैं। निबंध लेखन को उन्होंने समय की बर्बादी बताया और कहा की परीक्षा में उत्तीर्ण करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। स्कूल का समय निकट था नही तो लेखक को और बहुत कुछ सुनना पड़ता। उस दिन लेखक को भोजन निःस्वाद सा लगा। इतना सुनने के बाद भी लेखक की अरुचि पढाई में बनी रही और खेल-कूद में वो शामिल होते रहे।

(3)

फिर सालाना परीक्षा में बड़े भाई फेल हो गए और लेखक पास। बड़े भाई ने अत्याधिक परिश्रम किया था और लेखक ने ज्यादा नहीं। लेखक को अपने बड़े भाई पर दया आ रही थी। जब नतीजा सुनाया गया तो वह रो पड़े  और उनके साथ लेखक भी रोने लगे। पास होने की ख़ुशी आधी हो गयी। अब उनके बीच केवल एक दर्जे का अंतर रह गया। लेखक को लगा यह उनके उपदेशों का ही असर है की वे दनादन पास हो जाते हैं। अब भाई साहब नरम पड़ गए। अब उन्होंने लेखक को डाँटना बंद कर दिया। अब लेखक में मन में यह धारणा बन गयी की वह पढ़े या ना पढ़े वे पास हो जायेंगे।

एक दिन संध्या समय लेखक होस्टल से दूर कनकौआ लूटने के लिए दौड़े जा रहे थे तभी उनकी मुठभेड़ बड़े भाई से हो गयी। वे लेखक का हाथ पकड़ लिया और गुस्सा होकर बोले कि तुम आठवीं कक्षा में भी आकर ये काम कर रहे हो। एक ज़माने में आठवीं पास कर नायाब तहसीलदार हो जाते थे, कई लीडर और समाचारपत्रों संपादक भी आठवीं पास हैं परन्तु तुम इसे महत्व नही देते हो। उन्होंने लेखक को तजुरबे का महत्व स्पष्ट करते हुए कहा कि भले ही तुम मेरे से कक्षा में कितने भी आगे निकल जाओ फिर भी मेरा तजुरबा तुमसे ज्यादा रहेगा और तुम्हें समझाने का अधिकार भी। उन्होंने लेखक को अम्माँ दादा का उदाहरण देते हुए कहा की भले ही हम बहुत पढ़-लिख जाएँ परन्तु उनके तजुरबे की बराबरी नही कर सकते। वे बिमारी से लेकर घर के काम-काज तक में हमारे से ज्यादा अनुभव रखते हैं। इन बातों को सुनकर लेखक उनके आगे नत-मस्तक हो गए और उन्हें अपनी लघुता का अनुभव हुआ। इतने में ही एक कनकौआ उनलोगों के ऊपर से गुजरा। चूँकि बड़े भाई लम्बे थे इसलिए उन्होंने पतंग की डोर पकड़ ली और होस्टल की तरफ दौड़ कर भागे। लेखक उनके पीछे-पीछे भागे जा रहे थे।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 HINDI SPARSH CHAPTER 8

मौखिक प्रश्न 

bade bhai sahab question answers

प्रश्न 1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

a.   कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?

b.   बड़े भाई छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?

c.   दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?

d.   बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?

e.   बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?

उत्तर-

a.   कथा नायक की रूचि खेल कूद, कँउछालने, मैदानों की सुखद हरियाली, कनकौए उड़ाने, गप्पबाजी करने, कागज़ की तितलियाँ बनाने, उछलकूद करने, चार दीवारी पर चढ़कर ऊपर-नीचे कूदने, फाटक पर सवार होकर उसे मोटर कार बना कर मस्ती करने में थी।+

b.   बड़े भाई साहब छोटे भाई से, जब भी वह बाहर से आता, हर समय यही सावल पूछते "अब तक कहाँ थे"?

c.   दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई की स्वछन्दता और मनमानी बढ़ गई। उसने ज्यादा समय मौज-मस्ती में व्यतीत करना शुरू कर दिया। उसे लगने लगा की वह पढे ना पढे अच्छे नम्बरों से पास हो जाएगा। उसे कनकौए उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया।

d.   बड़े भाई साहब छोटे भाई से पाँच साल बड़े थे और वे छोटे भाई से चार दर्जे आगे अर्थात् नौवीं कक्षा में थे और छोटा भाई पाँचवीं कक्षा में था।

e.   बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों आदि की तस्वीर बनाते, कभी एक ही शब्द कई बार लिखते तो कभी बेमेल शब्द लिखते, कभी सुन्दर लिखी में शेर लिखते थे।

लिखित प्रश्न (पृष्ठ संख्या 63-64)

प्रश्न 1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 पंक्तियों में) लिखिए-

a.   छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?

b.   एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

c.   बडे भाई साहब को अपनी इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?

d.   बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?

e.   छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?

उत्तर-

a.   छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबल बनाते समय सोचा कि वह नियम बनाकर दिन-रात पढ़ा करेगा तथा खेलकूद बिल्कुल छोड़ देगा। परंतु खेलकूद में गहरी रुचि तथा पुस्तकों में अरुचि होने के कारण वह इसका पालन न कर सका।

b.   एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचे तो उनकी प्रतिक्रिया बहुत भयानक थी। वह बहुत क्रोधित थे। उन्होंने छोटे भाई को बहुत डाँटा। उन्होंने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। गुल्ली-डंडा खेल की उन्होंने बहुत बुराई की। उनके अनुसार यह खेल भविष्य के लिए लाभकारी नहीं है। अतः इसे खेलकर उन्हें कुछ हासिल नहीं होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि अव्वल आने पर उसे घमंड हो गया है। उनके अनुसार घमंड तो रावण तक का भी नहीं रहा। अभिमान का एक-न-एक दिन अंत होता है। अतः छोटे भाई को चाहिए कि घमंड छोड़कर पढ़ाई की ओर ध्यान दे।

c.   बड़े भाई साहब अपने बड़प्पन के कारण अपनी बहुत सी इच्छाओं को दबाकर रह जाते थे। उनका मानना था कि यदि वह कुछ गलत काम करेंगे तो छोटे पर क्या असर पड़ेगा। छोटे भाई की देखभाल करना उनका कर्तव्य था। वह पढ़ते रहते थे जिससे छोटा भाई भी उन्हें देखकर पढ़े। ज्यादा खेलते भी नहीं थे।

d.   बड़े भाई साहब छोटे भाई को दिन-रात पढ़ने तथा खेल-कूद में समय न गँवाने की सलाह देते थे। वे बड़ा होने के कारण उसे राह पर चलाना अपना कर्तव्य समझते थे।

e.   छोटे भाई ने बड़े भाई की नरमी का अनुचित लाभ उठाया। छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ गई अब वह पढ़ने-लिखने की अपेक्षा सारा ध्यान खेल-कूद में लगाने लगा। उस पर बड़े भाई का डर नहीं रहा, वह आज़ादी से खेलकूद में जाने लगा, वह अपना सारा समय मौज-मस्ती में बिताने लगा। उसे विश्वास हो गया कि वह पढ़े न पढ़े पास हो जाएगा।

प्रश्न 2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

a.   बडे भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

b.   बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

c.   बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

d.   छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?

e.   बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?

f.    बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्वपूर्ण कहा है?

उत्तर-

a.   छोटा भाई चंचल स्वभाव का था उसका मन खेलकूद में ज्यादा लगता था। वह पढ़ने में तेज होने के साथ-साथ घूमने-फिरने में ज्यादा समय व्यतीत करता था। इसी बात पर बड़ा भाई उसे डॉटता था। जिनके डर से वह पढ़ने बैठ जाता था बड़ा भाई समय-समय पर उसे घमंड न करने की सलाह देता था। इसी डर और शिक्षा के कारण वह हमेशा कक्षा में अव्वल आता था।

b.   ‘बड़े भाई साहब' पाठ में लेखक ने शिक्षा की रटंत-प्रणाली पर तीखा व्यंग्य किया है। कहानी का बड़ा भाई एक बेचारा दीन पात्र है जो पाठ्यक्रम के एक-एक शब्द को तोते की तरह रटता रहता है। वह किसी भी शब्द को दिमाग तक नहीं पहुँचने देता। वह न तो विषय को समझता है और न समझे हुए विषय को अपनी भाषा में कहना जानता है। इस कारण वह चौबीसों घंटे पढ़ते-पढ़ते निस्तेज हो जाता है, फिर भी परीक्षा में पास नहीं हो पाता। मेरे विचार से ऐसी शिक्षा व्यर्थ है।

c.   बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ केवल किताबी ज्ञान से नहीं आती बल्कि अनुभव से आती है। बड़े भाई के अनुसार जीवन की समझ ज्ञान के साथ अनुभव और व्यावहारिकता से आती है। इसके लिए उन्होंने अम्माँ, दादा व हैडमास्टर की माँ के उदाहरण भी दिए हैं कि वे पढ़े लिखे न होने पर भी हर समस्याओं का समाधान आसानी से कर लेते हैं। अनुभवी व्यक्ति को जीवन की समझ होती है, वे हर परिस्थिति में अपने को ढालने की क्षमता रखते हैं।

d.   बड़े भाई हमेशा अपने छोटे भाई को डाँटते रहते थे, लेकिन जब उन्होने अपने छोटे भाई को जीने का सही तरीका बताया तो छोटे भाई के मन में अपने बड़े भाई के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई। उन्होने बताया कि तुम्हारे और मेरे बीच में जो पाँच साल का अंतर है उसको खुदा भी नहीं मिटा सकता। जिंदगी का तजुर्बा मेरा तुमसे ज्यादा है। जीवन को चलाने के लिए अनुभव चाहिए वह भी मेरा तुमसे ज्यादा है इसलिए आज भी मेरा तुम पर पूरा अधिकार है यह बात सुनकर लेखक ने सिर झुका लिया।

e.   बड़ा भाई महत्त्वाकांक्षी है। वह बड़ा होने का सम्मान चाहता है। वह अपने-आपको अपने छोटे भाई का संरक्षक सिद्ध करने के लिए जी-जान लगा देता है।

घोर परिश्रमी और धुनी- बड़ा भाई चाहे पढ़ाई करने की ठीक विधि न जानता हो, किंतु उसके परिश्रम और धुन में कोई कोर-कसर नहीं रहती। वह तीन-तीन बार फेल होकर भी उसी धुन से पढ़ता रहता है। वह दिन-रात पढ़ता है। उसकी तपस्या बड़े-बड़े तपस्वियों को भी मात करती है।

वाक्पटु- बड़ा भाई उपदेश देने और बातें बनाने में बहुत कुशल है। वह अपने-आपको बड़ा सिद्ध करने के लिए हर तर्क जुटा लेता है। कभी वह घमंडियों के नाश की बात कहता है। कभी बड़ी कक्षा की पढ़ाई को कठिन बताता है, कभी परीक्षकों को बुरा कहता है, कभी पढ़ाई-लिखाई को बेकार कहता है, कभी अपनी समझदारी की डींग हाँकता है, और कभी उम्र और अनुभव को महत्त्वपूर्ण कहता है। परंतु वह स्वयं को बड़ा सिद्ध करके ही मानता है।

f.    बड़े भाई साहब जिंदगी के अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण समझते थे। उनके अनुसार किताबी ज्ञान तो कोई भी प्राप्त कर सकता है परन्तु असल ज्ञान तो अनुभवों से प्राप्त होता है कि हमने कितने जीवन मूल्यों को समझा, जीवन की सार्थकता, जीवन का उद्देश्य, सामाजिक कर्तव्य के प्रति जागरूकता की समझ को हासिल किया। अत: हमारा अनुभव जितना विशाल होगा उतना ही हमारा जीवन सुन्दर और सरल होगा।

प्रश्न 3 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

a.   बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-

छोटा भाई अपने बड़े भाई साहब का आदर करता है।

b.   बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-

भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।

c.   बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-

भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।

d.   बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-

भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

उत्तर-

a.   छोटे भाई को कनकौए उड़ाने का शौक था मगर वह अपने बड़े भाई से छिपकर कनकौए उड़ाता था ताकि उन्हें ऐसा न लगे कि वह अपने बड़े भाई का लिहाज और सम्मान नहीं करता है

b.   बडे भाई साहब का कहना था कि वह उम्र में पाँच साल बड़े हैं और उनका तजुर्बा कहीं ज्यादा है। वह कहा करते थे कि चाहे तुम एम. ए. और डी. फिल. क्यों न हो जाओ समझ और दुनियादारी में मुझसे कम ही रहोगे।

c.   एक समय की बात है कि एक कनकौआ हमारे ऊपर से गुजरा बच्चे दौड़ रहे थे बड़े भाई साहब भी लम्बे होने के कारण पतंग की डोर को पकड़कर उसके पीछे दौड़ पड़े।

d.   बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को गले लगाते हुए कहा कि मैं कनकौए उड़ाने को मना नहीं करता मेरा मन भी करता है मगर मैं ऐसा करने लगा तो तुम्हें कैसे सही राह दिखा सकूँगा आखिर तुम्हारे प्रति मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं तुम्हें सही रास्ता दिखाऊँ।

प्रश्न 4 निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

a.   इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।

b.   फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुडकियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।

c.   बुनियाद ही पुख्ता न हो तो मकान कैसे पायेदार बने।

d.   आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।

उत्तर-

a.   बड़ा भाई छोटे भाई के घमंड को तोड़ने के लिए कहता है- तुम कक्षा में प्रथम आकर यह न सोचो कि इससे तुमने बहुत बड़ी सफलता पा ली है और मैं असफल हो गया हूँ। वास्तव में बड़ी चीज है- बुद्धि का विकास। उसमें तुम अभी छोटे हो। तुम्हें मेरे जितनी समझ नहीं है। देखो, मैं रावण और अंग्रेजों की शक्ति के अंतर को भी जानता हूँ। मेरी बुद्धि विकसित है। तुम अबोध हो, घमंडी हो।

b.   इस पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार मनुष्य किसी भी परिस्थिति में अपनी मोह-माया को त्याग नहीं सकता ठीक उसी प्रकार छोटा भाई भी अपने खेल-कूद का त्याग नहीं कर पा रहा था। लेखक हर समय अपने खेलकूद, सैरसपाटे में मस्त रहता और बड़े भाई से डॉट खाता था परन्तु फिर भी खेलकूद नहीं छोड़ता था।

c.   लेखक का अपने बड़े भाई के बारे में कहना था कि वे अपने अनुभव को बढ़ाने के लिए हर कक्षा में दो-तीन साल लगाते थे क्योंकि उनके भाई के मन में ‘बुनियाद ही पुख्ता न हो तो मकान कैसे पायेदार बने' उक्ति घर कर गई थी।

d.   लेखक पतंग लूटने के लिए आकाश की ओर देखता हुआ दौड़ा जा रहा था। उसकी आँखें आकाश में उड़ने वाली पतंग रूपी यात्री की ओर थीं। अर्थात् उसे पतंग आकाश में उड़ने वाली दिव्य आत्मा जैसी मनोरम प्रतीत हो रही थी। वह आत्मा मानो मंद गति से झूमती हुई नीचे की ओर आ रही थी। आशय यह है कि कटी हुई पतंग धीरे-धीरे धरती की ओर गिर रही थी। लेखक को कटी पतंग इतनी अच्छी लग रही थी मानो वह कोई आत्मा हो जो स्वर्ग से मिल कर आई हो और बड़े भारी मन से किसी दूसरे के हाथों में आने के लिए धरती पर उतर रही हो।

भाषा अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 64-65)

प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।

a.   नसीहत

b.   रोष

c.   आज़ादी

d.   राजा

e.   ताज्जुब

उत्तर-

a.   नसीहत- मशवरा, सलाह, सीख।

b.   रोष- गुस्सा, क्रोध, क्षोभ।

c.   आजादी- स्वाधीनता, स्वतंत्रता, मुक्ति।

d.   राजा- महीप, भूपति, नृप।

e.   ताजुब्ब- आश्चर्य, अचंभा, अचरज।

प्रश्न 2 प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है। उदाहरणत: इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढ़िए-

·       मेरा जी पढ़ने में बिल्कुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।

·       भाई सहाब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।

·       वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।

निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

a.   सिर पर नंगी तलवार लटकना।

b.   आड़े हाथों लेना।

c.   अंधे के हाथ बटेर लगना।

d.   लोहे के चने चबाना।

e.   दाँतों पसीना आना।

f.    ऐरा-गैरा नत्थू खैरा।

उत्तर-

a.   सिर पर नंगी तलवार लटकना- सी.बी.आई ने जाँच शुरू करके सबके सिर पर नंगी तलवार लटका दी।

b.   आड़े हाथों लेना- पुलिस ने चोर को आड़े हाथों ले लिया।

c.   अंधे के हाथ बटेर लगना- कर्मचारी को जब रूपयों से भरा थैला मिला तो मानों अंधे के हाथ बटेर लग गई।

d.   लोहे के चने चबाना- मज़दूर दिन रात मेहनत करते हैं, पैसों के लिए वह लोहे के चने चबाते हैं।

e.   दाँतों पसीना आना- राम की जिद्द् के आगे उनके पिताजी के दाँतों पसीना आ गया।

f.    ऐरा-गैरा नत्थू खैरा- उस पार्टी में ऐरा-गैरा नत्थू खैरा भी आ गया।

प्रश्न 3 निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए।

तत्सम

तद्भव

देशज

आगत (अंग्रेज़ी एवं उर्दू/अरबी-फ़ारसी)

जन्मसिद्ध

आँख

दाल-भात

पोजीशन, फ़जीहत

तालीम, जल्दबाजी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रात:काल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल।

उत्तर-

तत्सम

तद्भव

देशज

आगत/ उर्दू

अंग्रेजी

चेष्टा

सूक्तिबाण

आधिपत्य

मेला

फटकार

प्रातःकाल

विद्वान

निपुण

अवहेलना

जानलेवा

आंखफोड़

पन्ना

भाई साहब

घुड़कियाँ

तालीम

जल्दबाजी

पुख्ता

हाशिया

जमात

हर्फ

तमाशा

मसलन

स्पेशल

स्कीम

टाइम-टेबल

प्रश्न 4 क्रियाएँ मुख्यत: दो प्रकार की होती हैं- सकर्मक और अकर्मक।

सकर्मक क्रिया- वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, इसे सकर्मक क्रिया कहते हैं;

जैसे-शीला ने सेब खाया?

मोहन पानी पी रहा है?

अकर्मक क्रिया- वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, इसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे- शीला हसँती है?

बच्चा रो रहा है?

नीचे दिए वाक्यों में कौन-सी क्रिया है- सकर्मक या अकर्मक? लिखिए-

a.   उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया।

b.   फिर चोरों-सा जीवन कटने लगा।

c.   शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा।

d.   मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता।

e.   समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो।

f.    मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।

उत्तर-

a.   उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया।

b.   फिर चोरों-सा जीवन कटने लगा।

c.   शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा।

d.   मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता।

e.   समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो।

f.    मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।

प्रश्न 5 'इक' प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए−

a.   विचार

b.   इतिहास

c.   संसार

d.   दिन

e.   नीति

f.    प्रयोग

g.   अधिकार

उत्तर-

a.   विचार- वैचारिक।

b.   इतिहास- ऐतिहासिक।

c.   संसार- सांसारिक।

d.   दिन- दैनिक।

e.   नीति- नैतिक।

f.    प्रयोग- प्रायोगिक।

g.   अधिकार- आधिकारिक।


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  • बड़े भाई साहब

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