Lakhnavi Andaaz Question Answer: NCERT Class 10 Hindi

Premium Lakhnavi Andaaz Question Answer: NCERT Class 10 Hindi
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Discover the elegance and politeness that is synonymous with Lakhnavi Andaaz, a remarkable aspect of Class 10 Hindi syllabus that encapsulates the charm of Lucknow's culture. This chapter takes students on a journey through the nuances of this unique style of communication, which is as much about the beauty of its expression as it is about the courtesy it represents. Understanding Lakhnavi Andaaz is not just an academic exercise; it is an embrace of a cultural heritage that carries timeless relevance.

As students delve into the details of Lakhnavi Andaaz in Class 10, they find themselves intrigued by the questions that follow the chapter. These question answers are not merely assessments but conversations that enable students to interact with the text and the subtleties of its content. The thoughtfully designed question answers for Lakhnavi Andaaz in Class 10 help to build a deeper connection with the text, fostering a love for the Hindi language and its rich cultural backdrop.

When it comes to Class 10 Hindi Chapter 9 question answer sessions, it’s all about engaging with the content in a way that brings the Lakhnavi courtesy alive in the minds of the learners. The interactive format of these question answers serves as a bridge between the traditional Lakhnavi decorum and the modern academic approach, enriching students' understanding of the text.

Exploring the chapter on Lakhnavi Andaaz, one finds that it is more than just a literary piece; it's a portrayal of respect and sophistication. This chapter is not just about learning for exams but about imbibing a part of Lucknow’s soul. Each question answered, every lesson learned through Lakhnavi Andaaz in Class 10th paves the way for students to not only excel in their academics but also carry forward a legacy of Lucknow’s celebrated mannerisms. Dive into this chapter, unravel the stories, answer the questions, and let the Lakhnavi Andaaz leave its courteous whisper on your heart.

अध्याय-12: लखनवी अंदाज़

सार

लेखक को पास में ही कहीं जाना था। लेखक ने यह सोचकर सेकंड क्लास का टिकट लिया की उसमे भीड़ कम होती है, वे आराम से खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी नए कहानी के बारे में सोच सकेंगे। पैसेंजर ट्रेन खुलने को थी। लेखक दौड़कर एक डिब्बे में चढ़े परन्तु अनुमान के विपरीत उन्हें डिब्बा खाली नही मिला। डिब्बे में पहले से ही लखनऊ की नबाबी नस्ल के एक सज्जन पालथी मारे बैठे थे, उनके सामने दो ताजे चिकने खीरे तौलिये पर रखे थे। लेखक का अचानक चढ़ जाना उस सज्जन को अच्छा नही लगा। उन्होंने लेखक से मिलने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई। लेखक को लगा शायद नबाब ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए लिया है ताकि वे अकेले यात्रा कर सकें परन्तु अब उन्हें ये बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था की कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। उन्होंने शायद खीरा भी अकेले सफर में वक़्त काटने के लिए ख़रीदा होगा परन्तु अब किसी सफेदपोश के सामने खीरा कैसे खायें। नबाब साहब खिड़की से बाहर देख रहे थे परन्तु लगातार कनखियों से लेखक की ओर देख रहे थे।

अचानक ही नबाब साहब ने लेखक को सम्बोधित करते हुए खीरे का लुत्फ़ उठाने को कहा परन्तु लेखक ने शुक्रिया करते हुए मना कर दिया। नबाब ने बहुत ढंग से खीरे को धोकर छिले, काटे और उसमे जीरा, नमक-मिर्च बुरककर तौलिये पर सजाते हुए पुनः लेखक से खाने को कहा किन्तु वे एक बार मना कर चुके थे इसलिए आत्मसम्मान बनाये रखने के लिए दूसरी बार पेट ख़राब होने का बहाना बनाया। लेखक ने मन ही मन सोचा कि मियाँ रईस बनते हैं लेकिन लोगों की नजर से बच सकने के ख्याल में अपनी असलियत पर उतर आयें हैं। नबाब साहब खीरे की एक फाँक को उठाकर होठों तक ले गए, उसको सूँघा। खीरे की स्वाद का आनंद में उनकी पलकें मूँद गयीं। मुंह में आये पानी का घूँट गले से उतर गया, तब नबाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया। इसी प्रकार एक-एक करके फाँक को उठाकर सूँघते और फेंकते गए। सारे फाँको को फेकने के बाद उन्होंने तौलिये से हाथ और होठों को पोछा। फिर गर्व से लेखक की ओर देखा और इस नायब इस्तेमाल से थककर लेट गए। लेखक ने सोचा की खीरा इस्तेमाल करने से क्या पेट भर सकता है तभी नबाब साहब ने डकार ले ली और बोले खीरा होता है लजीज पर पेट पर बोझ डाल देता है। यह सुनकर लेखक ने सोचा की जब खीरे के गंध से पेट भर जाने की डकार आ जाती है तो बिना विचार, घटना और पात्रों के इच्छा मात्र से नई कहानी बन सकती है।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 HINDI CH 9

प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1 लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?

उत्तर- लेखक को डिब्बे में आया देखकर नवाब साहब की आँखों में असंतोष छा गया। ऐसे लगा मानो लेखक के आने से उनके एकांत में बाधा पड़ गई हो। उन्होंने लेखक से कोई बातचीत नहीं की। उनकी तरफ़ देखा भी नहीं। वे खिड़की के बाहर देखने का नाटक करने लगे। साथ ही डिब्बे की स्थिति पर गौर करने लगे। इससे लेखक को पता चल गया कि नवाब साहब उनसे बातचीत करने को उत्सुक नहीं हैं।

प्रश्न 2 नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?

उत्तर-लेखक को डिब्बे में आया देखकर नवाब साहब की आँखों में असंतोष छा गया। ऐसे लगा मानो लेखक के आने से उनके एकांत में बाधा पड़ गई हो। उन्होंने लेखक से कोई बातचीत नहीं की। उनकी तरफ़ देखा भी नहीं। वे खिड़की के बाहर देखने का नाटक करने लगे। साथ ही डिब्बे की स्थिति पर गौर करने लगे। इससे लेखक को पता चल गया कि नवाब साहब उनसे बातचीत करने को उत्सुक नहीं हैं।

प्रश्न 3 बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर- हम लेखक यशपाल के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। किसी भी कहानी की रचना उसके आवश्यक तत्वों - कथावस्तु, घटना, पात्र आदि के बिना संभव नहीं होती। घटना तथा कथावस्तु कहानी को आगे बढ़ाते हैं, पात्रों द्वारा संवाद कहे जाते हैं। कहानी में कोई न कोई विचार, बात या उद्देश्य भी अवश्य होना चाहिए। ये कहानी के आवश्यक तत्व हैं।

प्रश्न 4 आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे? और क्यों?

उत्तर- हवाई भोज

या

खयाली भोजन

क्योंकी- इस निबंध में मुख्य घटना नवाब साहब की है जो कल्पना से ही खीरे का स्वाद ले रहे हैं।

प्रश्न 5

a.   नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

b.   किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?

उत्तर-

a.   सेकेंड क्लास के एकांत डिब्बे में बैठे नवाब साहब ने खीरा खाने की इच्छा से दो ताज़े खीरे एक तौलिए पर रखे। सबसे पहले उन्होंने खीरे को खिड़की से बाहर निकालकर लोटे के पानी से धोया और तौलिए से साफ़ कर पानी सुखा लिया फिर जेब से चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोद कर झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर फाँको पर बहुत कायदे से जीरा, नमक-मिर्च की सुर्वी बुरक दी। इसके बाद एक-एक करके उन फाँको को उठाया और उन्हें सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया।

b.   हम खीर का रसास्वादन करने के लिए उसे अच्छी तरह से एक कटोरी में परोसते हैं तथा उसके ऊपर काजू, किशमिश, बादाम और पिस्ता डालकर अच्छी तरह से उसे सजाते हैं और फिर उसका स्वाद लेते हैं।

प्रश्न 6 खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा।किसी एक के बारे में लिखिए।

उत्तर- पाठ में प्रस्तुत खीरे के प्रसंग द्वारा नवाब के दिखावटी ज़िंदगी का पता चलता है, इससे उनके सनकी व्यक्तित्व का ज्ञान होता है। ऐसे कुछ और भी प्रसंग हैं-

1.   नवाब अपनी शान और शौकत के लिए पैसे लुटाने से बाज़ नहीं आते हैं। फिर चाहे उनके घर में पैसों की तंगी ही क्यों न हो पर बाहर वे खूब पैसे लुटाते हैं।

2.   नवाब नाच-गानों का शौक भी रखते हैं। वे मुजरों पर खूब पैसा लुटाते हैं।

3.   अपनी झूठी समृद्धि को कायम रखने के लिए ये किसी से लड़ने से भी बाज़ नही आते हैं।

4.   प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी 'पर्दा' में नवाबी शानो-शौकत का उल्लेख है। जिसमें एक नवाब अपने घर की इज्ज़त कायम रखने के लिए पर्दे पर खर्च करता है भले ही उसे खाने तथा कपड़े की कमी होती है।

प्रश्न 7 क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- हाँ, सनक का सकारात्मक रूप भी हो सकता है। प्रायः गाँधी, सुभाष, विवेकानंद, मदन मोहन मालवीय आदि महापुरुष भी सनकी हुए हैं। उन्हें जिस चीज़ की सनक सवार हो जाती है उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। कौन नहीं जानता कि गाँधी जी को अहिंसात्मक आंदोलनों की सनक थी। आंदोलन में जरा-सी भी हिंसा हुई तो वे आंदोलन वापस ले लेते थे। विवेकानंद को ईश्वर को जानने की सनक थी। वे जिस किसी संत-महात्मा से मिलते थे, उनसे पूछते- क्या आपने ईश्वर को देखा है। उनकी इसी सनक ने उन्हें ज्ञानी बना दिया। वे रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आ गए। ऐसे अनेक उदाहरण हैं।

रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 81)

प्रश्न 1

a.   नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी

करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

b.   किन-किन चीजों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं ?

उत्तर-

a.   नवाब साहब ने सर्वप्रथम दो ताजे चिकने खीरे

तौलिए पर रखे। इसके बाद वे खीरा खाने में सकुचाने लगे तथा

लेखक से खीरा खाने के लिए पूछा। उन्होंने अपने खीरे धोए तथा

तौलिए पर रखकर जेब से चाकू निकाला। खीरों के सिरों को

चाकू से गोदकर झाग निकाला। तदोपरान्त फाकें काटकर तौलिए

पर सजा लीं। फाँकों पर जीरा-मिर्च तथा नमक का मसाला

डाला। खीरे की फाँक उठाकर सूंघी तथा एक फाँक खिड़की से

बाहर फेंक दी। अन्तत: सभी फाँके गाड़ी की खिड़की से बाहर

फेंक दी।

b.   हम जिन-जिन चीजों का रसास्वादन करना चाहते हैं।

उससे पहले चीज के गुण एवं स्वाद के विषय में सोचते हैं। अच्छी

चीजें खाने के लिए तो हमारे मुँह में पानी भर आता है। चीज

खाने से पहले सर्वप्रथम हम अपने हाथ साफ करते हैं तदोपरान्त

चीज का स्वाद लेते हैं।

प्रश्न 2 खीरे के सम्बन्ध में नवाब साहब के व्यवहार को नकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और की सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।

उत्तर- पाठ में प्रस्तुत खीरे के प्रसंग द्वारा नवाब के दिखावटी ज़िंदगी का पता चलता है, इससे उनके सनकी व्यक्तित्व का ज्ञान होता है। ऐसे कुछ और भी प्रसंग हैं -

·       नवाब अपनी शान और शौकत के लिए पैसे लुटाने से बाज़ नहीं आते हैं। फिर चाहे उनके घर में पैसों की तंगी ही क्यों न हो पर बाहर वे खूब पैसे लुटाते हैं।

·       नवाब नाच-गानों का शौक भी रखते हैं। वे मुजरों पर खूब पैसा लुटाते हैं।

·       अपनी झूठी समृद्धि को कायम रखने के लिए ये किसी से लड़ने से भी बाज़ नही आते हैं।

·       प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी 'पर्दा' में नवाबी शानो-शौकत का उल्लेख है। जिसमें एक नवाब अपने घर की इज्ज़त कायम रखने के लिए पर्दे पर खर्च करता है भले ही उसे खाने तथा कपड़े की कमी होती है।

प्रश्न 3 क्या सनकका कोई सकारात्मक रूप हा सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- सनक का कोई सकारात्मक रूप नकारात्मकता क्योंकि सनक मन का एक अमूर्त भाव है।

भाषा-अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 81)

प्रश्न 1 निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए-

a.   एक सफ़ेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे।

b.   नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया।

c.   ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।

d.   अकेले सफ़र का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे।

e.   दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला।

f.    नवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फाँकों की और देखा।

g.   नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए।

h.   जेब से चाकू निकाला।

उत्तर-

a.   बैठे थे – अकर्मक क्रिया।

b.   दिखाया - सकर्मक क्रिया।

c.   आदत है - सकर्मक क्रिया।

d.   खरीदे होंगे - सकर्मक क्रिया।

e.   निकाला - सकर्मक क्रिया।

f.    देखा - सकर्मक क्रिया।

g.   लेट गए - अकर्मक क्रिया।

h.   निकाला - सकर्मक क्रिया।

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  • लखनवी अंदाज़

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