Netaji Ka Chashma Question Answer: NCERT Class 10 Hindi Chapter 7

Netaji Ka Chashma Question Answer: NCERT Class 10 Hindi Chapter 7
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अध्याय-7: नेताजी का चश्मा

सार

हालदार साहब को हर पन्द्रहवें दिन कम्पनी के काम से एक छोटे कस्बे से गुजरना पड़ता था। उस कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन सिनेमा घर तथा एक नगरपालिका थी। नगरपालिका थी तो कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी सड़के पक्की करवाने का काम तो कभी शौचालय तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया। एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाज़ार के चैराहे पर सुभाषचन्द्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। चूँकि बजट ज्यादा नही था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के  शिक्षक को सौंपा गया। मूर्ति सुन्दर बनी थी बस एक चीज़ की कमी थी, नेताजी की आँख पर चश्मा नहीं था। एक सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया। जब हालदार साहब आये तो उन्होंने सोचा वाह भई! यह आईडिया ठीक है। मूर्ति पत्थर की पर चश्मा रियल। दूसरी बार जब हालदार साहब आये तो उन्हें मूर्ति पर तार का फ्रेम वाले गोल चश्मा लगा था। तीसरी बार फिर उन्होंने नया चश्मा पाया। इस बार वे पानवाले से पूछ बैठे कि नेताजी का चश्मा हरदम बदल कैसे जाता है। पानवाले ने बताया की यह काम कैप्टन चश्मेवाला करता है। हालदार साहब को समझते देर न लगी की बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टेन को ख़राब लगती होगी इसलिए अपने उपलब्ध फ्रेम में से एक को वह नेताजी के मूर्ति पर फिट कर देता होगा। जब कोई ग्राहक वैसे ही फ्रेम की मांग करता जैसा मूर्ति पर लगा है तो वह उसे मूर्ति से उतारकर ग्राहक को दे देता और मूर्ति पर नया फ्रेम लगा देता चूँकि मूर्ति बनाने वाला मास्टर चश्मा भूल गया।

हालदार साहब ने पानवाले जानना चाहा कि कैप्टेन चश्मेवाला नेताजी का साथी है या आजाद हिन्द फ़ौज का कोई भूतपूर्व सिपाही? पानवाले बोला कि वह लंगड़ा क्या फ़ौज में जाएगा, वह पागल है इसलिए ऐसा करता है। हालदार साहब को एक  देशभक्त का मजाक बनते देखना अच्छा नही लगा। कैप्टेन को देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ चूँकि वह एक बूढ़ा मरियल-लंगड़ा सा आदमी था जिसके सिर पर गांधी टोपी तथा चश्मा था, उसके एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे में एक बांस में टंगे ढेरों चश्मे थे। वह उसका वास्तविक नाम जानना चाहते थे परन्तु पानवाले ने इससे ज्यादा बताने से मना कर दिया।

दो साल के भीतर हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कई चश्मे लगते हुए देखे। एक बार जब हालदार साहब कस्बे से गुजरे तो मूर्ति पर कोई चश्मा नही था। पूछने पर पता चला की कैप्टेन मर गया, उन्हें बहुत दुःख हुआ। पंद्रह दिन बाद कस्बे से गुजरे तो सोचा की वहाँ नही रुकेंगे, पान भी नही खायेंगे, मूर्ति की ओर देखेंगे भी नहीं। परन्तु आदत से मजबूर हालदार साहब की नजर चौराहे पर आते ही आँखे मूर्ति की ओर उठ गयीं। वे जीप से उतरे और मूर्ति के सामने जाकर खड़े हो गए। मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना हुआ छोटा सा चश्मा रखा था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। यह देखकर हालदार साहब की आँखे नम हो गयीं।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 HINDI CH 7

प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 64)

प्रश्न 1 सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

उत्तर- सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था। वह नेताजी की मूर्ती को बार-बार चश्मा पहना कर देश के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा प्रकट करता था। देश के प्रति त्याग व समर्पण की भावना उसके हृदय में किसी भी फ़ौजी से कम नहीं थी।

प्रश्न 2 हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-

a.   हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

b.   मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

c.   हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर-

a.   हालदार साहब यह जानकर मायूस हो गए थे कि कैप्टन की मृत्यु हो चुकी है। अतः अब उस कस्बे में सुभाष की बिना चश्मे वाली मूर्ति को चश्मा पहनाने वाला कोई न रहा होगा। अब मूर्ति बिना चश्मे के ही खड़ी होगी।

b.   मूर्ति पर लगा सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि यह धरती देशभक्ति से शून्य नहीं हुई है। एक कैप्टन नहीं रहा, तो अन्य लोग उस दायित्व को सँभालने के लिए तैयार हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकंडे का चश्मा किसी गरीब बच्चे ने बनाया है। अतः उम्मीद है कि ये बच्चे गरीबी के बावजूद भी देश को ऊपर उठाने का प्रयास करते रहेंगे।

c.   हालदार साहब के लिए सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाना 'इतनी-सी' बात नहीं थी। यह उनके लिए बहुत बड़ी बात थी। यह बात उनके मन में आशा जगाती थी कि कस्बे-कस्बे में देशभक्ति जीवित है। देश की नई पीढ़ी में देश-प्रेम जीवित है। इस खुशी और आशा से वे भावुक हो उठे।

प्रश्न 3 आशय स्पष्ट कीजिए-

"बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िन्दगी सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।"

उत्तर- लेखक का उपरोक्त वाक्य से यह आशय है कि लेखक बार-बार यही सोचता है कि उस देश के लोगों का क्या होगा जो अपने देश के लिए सब न्योछावर करने वालों पर हँसते है। देश के लिए अपना घर-परिवार, जवानी, यहाँ तक कि अपने प्राण भी देने वालों पर लोग हँसते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं। दूसरों का मजाक उड़ाने वालों के पास लोग जल्दी इकट्‌ठे हो जाते हैं जिससे उन्हें अपना सामान बेचने का अवसर मिल जाता है।

प्रश्न 4 पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर-सड़क के चौराहे के किनारे एक पान की दुकान में एक पान वाला बैठा है। वह काला तथा मोटा है, उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे हैं। वह एक तरफ़ ग्राहक के लिए पान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर उसका मुँह पान से भरा है। पान खाने के कारण उसके होंठ लाल तथा कहीं-कहीं काले पड़ गए हैं। उसने अपने कंधे पर एक कपड़ा रखा हुआ है जिससे रह-रहकर अपना चेहरा साफ़ करता है।

प्रश्न 5 "वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में पागल है पागल?''

कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर- पानवाले की यह टिप्पणी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उसे चाहिए था कि वह चश्मेवाले कैप्टन की भावनाओं का सम्मान करता। उसे पता था कि कैप्टन ही सुभाषचंद्र बोस की आँखों पर अपनी ओर से चश्मा लगाए रहता है। वह भी केवल इसलिए कि नेताजी की मूर्ति अधूरी न लगे। उसकी इस भावना से देशभक्ति प्रकट होती है। अत: ऐसे व्यक्ति की कमियाँ या कुरूपता नहीं देखनी चाहिए। न ही ऐसे व्यक्ति को पागल कहना चाहिए। अतः पानवाले की यह टिप्पणी गैरजिम्मेदाराना है।

रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 65)

प्रश्न 1 निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

a.   हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

b.   पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब! कैप्टन मर गया।

c.   कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

उत्तर-

a.   हालदार साहब का चौराहे पर रुक कर नेता जी की मूर्ति को निहारने से यह पता चलता है कि उनके मन में देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना थी। नेता जी की मूर्ति उन्हें देश के निर्माण में सहयोग देने के लिए प्रेरित करती थी। इससे उनकी देशभक्ति की भावना का पता चलता है।

b.   पानवाला जब भी कोई बात करता था, उससे पहले वह मुँह का पान नीचे अवश्य थूकता था। पानवाले को कैप्टन के मरने का दुःख था। इसीलिए उसकी आँखें नम थीं। इससे यह पता चलता है कि पानवाले के मन में कैप्टन के प्रति आदर की भावना थी।

c.   चौराहे पर लगी नेता जी की मूर्ति का मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया था। बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टन को बहुत आहत करती थी। इसलिए वह मूर्ति पर अपने पास से चश्मा लगा देता था। जब भी मूर्ति पर से चश्मा उतर जाता वह उसी समय मूर्ति पर चश्मा लगा देता था। इससे पता चलता है कि कैप्टन में देश और देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना है।

प्रश्न 2 जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर- जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को नहीं देखा था तब तक वो उसे एक फौज़ी की तरह लम्बा-चौड़ा, घनी मूछों वाला मजबूत और बलशाली व्यक्ति समझते थे। उन्होंने सोचा होगा कि वह एक फौजी की तरह अपने जीवन को अनुशासित ढंग से जीता होगें। उन्हें लगता था फौज़ में होने के कारण लोग उन्हें कैप्टन कहते हैं।

प्रश्न 3 कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-

a.   इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

b.   आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?

c.   उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

उत्तर-

a.   इस तरह की मूर्ति लगाने का उद्देश्य यही हो सकता है कि लोग उस प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में जाने। उससे प्रेरणा प्राप्त करें। उसके गुणों को अपनाएँ। उसे याद रखें, ताकि समाज में अच्छे कार्य होते रहें।

b.   हम अपने इलाके के चौराहे पर राष्ट्रीय महापुरुषों, प्रसिद्ध संतों, ऋषियों, साहित्यकारों और वैज्ञानिकों की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे।

क्यों-हम उनकी मूर्ति स्थापित करके उनके कामों को याद रखेंगे, उन्हें याद रखेंगे, उनसे प्रेरणा प्राप्त करेंगे और आने वाली पीढ़ियों को भी उनके बारे में बताना चाहेंगे।

c.   ऐसी मूर्तियों के प्रति हमारा तथा समाज के सभी लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे उनकी देखभाल और साज-सँवार करें। उन्हें समय-समय पर सँवारते रहें।

प्रश्न 4 सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कार्यों का उल्लेख करें और उन पर अमल भी कीजिये।

उत्तर- हम अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे कई कार्यों को उचित ढंग से कर सकते हैं जिससे देश प्रेम का परिचय मिलता है। पानी हमारे प्राणी जीवन के लिए अनमोल धैरोहर है। पानी का उचित प्रयोग करना चाहिए। बिना मतलब के पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पानी की टंकी को खुला न छोड़े। पानी के प्रयोग के बाद तुरंत पानी की टंकी बंद कर देनी चाहिए।

बिजली का उचित प्रयोग करना चाहिए। फालतू बिजली का प्रयोग हमारे जीवन को अंधकारमय बना सकता है। इसलिए बिजली का जितना प्रयोग संभव हो उतना ही प्रयोग करना चाहिए। घरों में बिजली के पंखें, ट्‌यूबें खुली नहीं छोड़नी चाहिए। जब इनकी जरूरत न हो तो बंद कर देनी चाहिए।

पेट्रोल का उचित प्रयोग करने के लिए जहां तक संभव हो निजी यातायात के साधनों का प्रयोग कम करना चाहिए। सार्वजनिक यातायात के साधनों का उचित प्रयोग करना चाहिए। इससे मनुष्य के धन की भी बचत होती है तथा पर्यावरण प्रदूषित कम होता है।

ऐसे हमारे जीवन-जगत से जुड़े कई कार्य हैं जिनको अमल में लाकर हम अपने देश प्रेम का परिचय दे सकते हैं।

प्रश्न 5 निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-

कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।

उत्तर- मानक हिंदी में रुपांतरित:

अगर कोई ग्राहक आ गया और उसे चौड़े चौखट चाहिए, तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्तिवाला चौखट दे देता है और उसकी जगह दूसरा लगा देता है।

प्रश्न 6 भई खूब! क्या आइडिया है।' इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर- प्रत्येक भाषा दूसरी भाषा से कुछ शब्द उधार लेती है। कई बार दूसरी भाषा के शब्द ऐसे अर्थ और प्रभाव वाले होते हैं कि अपनी भाषा में नहीं होते। जैसे उपर्युक्त वाक्य में दो शब्द हैं- 'खूब' तथा 'आइडिया'। 'खूब' उर्दू शब्द है। 'आइडिया' अंग्रेजी शब्द है। 'खूब' में गहरी प्रशंसा का भाव है। यह भाव हिंदी के 'सुंदर' या 'अद्भुत' में नहीं है। इसी प्रकार 'आइडिया' में जो भाव है, वह हिंदी के शब्द 'विचार', 'युक्ति' या 'सूझ' में नहीं है। इससे पता चलता है कि अन्य भाषाओं के शब्द हमारी भाषा को समृद्ध करते हैं। परंतु यदि उनका प्रयोग अनावश्यक हो, दिखावे-भर के लिए हो या जानबूझकर हो तो वे शब्द खलल डालते हैं।

भाषा-अध्ययन प्रश्न (पृष्ठ संख्या 65-66)

प्रश्न 1 निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए-

a.   नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।

b.   किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

c.   यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।

d.   हालदार साहब अब भी नहीं समझा पाए।

e.   दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।

उत्तर-

a.   भी = बाज़ार जा रहे हो तो मेरे लिए भी फल लेते आना।

b.   ही = शिक्षा ही मानव को ऊँचा उठाती है।

c.   यानी = यानी खाना तो था परंतु लजीज नहीं था।

d.   भी = क्या कहा! तुम भी फिल्म देखने जा रहे हो।

e.   तक = पिछले दो सालों से उसने मुझे चिट्‌ठी तक नहीं लिखी।

प्रश्न 2 निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए-

a.   वह अपनी छोटी- सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर एक फिट कर देता है।

b.   पानवाला नया पान खा रहा था।

c.   पानवाले ने साफ़ बता दिया था।

d.   ड्राईवर ने जोर से ब्रेक मारा।

e.   नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।

f.    हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।

उत्तर-

a.   उसके द्वारा अपनी छोटी- सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेम में से नेताजी की मूर्ति पर एक फिट कर दिया जाता है।

b.   पानवाले से नया पान ख़ाया जा रहा था।

c.   पानवाले द्वारा साफ़ बता दिया गया था।

d.   ड्राईवर द्वारा जोर से ब्रेक मारा गया।

e.   नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।

f.    हालदार साहब द्वारा चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।

प्रश्न 3 नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए-

जैसे-अब चलते हैं।- अब चला जाए।

a.   माँ बैठ नहीं सकती।

b.   मैं देख नहीं सकती।

c.   चलो, अब सोते हैं।

d.   माँ रो भी नहीं सकती।

उत्तर-

a.   माँ से बैठा नहीं जाता।

b.   मुझसे देखा नहीं जाता।

c.   चलो, अब सोया जाए।

d.   माँ से रोया नहीं जाता।

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  • नेताजी का चश्मा

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