यह दंतुरित मुसकान NCERT Solutons For Class 10 Hindi Chapter 5 Kshitiz

यह दंतुरित मुसकान NCERT Solutons For Class 10 Hindi Chapter 5 Kshitiz
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When students open their Hindi textbook to Chapter 5, they uncover the depths of "Yah Danturit Muskan," a poem that carries smiles and profound meanings within its lines. The beauty of this chapter lies in the way it unfolds the layers behind a smile that is not just an ordinary expression but a complex symbol of various emotions. This particular poem is part of the Class 10 Hindi curriculum and it encourages learners to look beyond the surface to understand the essence of expressions.

The Hindi Chapter 5 Class 10 question answer exercise is not just an academic task, it is a doorway to critical thinking where every student is invited to ponder over the subtleties of human expressions. The exploration of this chapter through questions and answers enables learners to dive deep into the poem's thematic revelations. As they seek to find the meanings and provide explanations for "Yah Danturit Muskan," students develop a nuanced appreciation for literature.

Teachers guiding through this chapter help illuminate the intricate details of the poem, while parents get to witness their children engage with literature in a way that sharpens their analytical skills. The Class 10th Hindi Chapter 5 isn't merely a part of the syllabus; it represents an essential part of learning where understanding human emotions and expressions becomes a key takeaway.

With each question answered, students not only prepare for their exams but also for understanding life's subtle cues. The "यह दंतुरित मुसकान कविता का भावार्थ" or the deeper meaning behind the poem’s smiling imagery, offers them insights into the complexity of social interactions and personal feelings. This chapter teaches that a smile can convey a multitude of feelings, from joy to concealed pain, from welcoming warmth to a forced facade.

The journey through this chapter is about learning to interpret the unspoken, to read between the lines, and to understand that what we see on the surface often has a much deeper reality. So, when students jot down the answers to "Yah Danturit Muskan Class 10 question answers," they're not just writing down words for grades, they're engaging with life lessons that will stay with them far beyond their school years. This is the beauty of Chapter 5 in the Hindi Class 10 syllabus, where every verse has a purpose and every smile has a story.

अध्याय-5: यह दंतुरित  मुस्कान और फसल


यह दंतुरित मुस्कान


इस कविता में कवि ने नवजात शिशु के मुस्कान के सौंदर्य के बारे में बताया है। कवि कहते हैं की शिशु की मुस्कान इतनी मनमोहक और आकर्षक होती है की किसी मृतक में भी जान डाल दे। खेलने के बाद धूल से भरा तुम्हारा शरीर देखकर ऐसा लगता है मानो कमल का फूल तालाब छोड़कर मेरी झोपड़ी में आकर खिल गए हों। तुम्हारे स्पर्श को पाकर पत्थर भी मानो पिघलकर जल हो गया हो यानी तुम्हारे जैसे शिशु की कोमल स्पर्श पाकर किसी भी पत्थर-हृदय व्यक्ति का दिल पिघल जाएगा। कवि कहते हैं की उनका मन बांस और बबूल की भांति नीरस और ठूँठ हो गया था परन्तु तुम्हारे कोमलता का स्पर्श मात्र पड़ते ही हृदय भी शेफालिका के फूलों की भांति झड़ने लगा। कवि के हृदय में वात्सल्य की धारा बह निकली और वे अपने शिशु से कहते हैं की तुमने मुझे आज से पूर्व नहीं देखा है इसलिए मुझे पहचान नही रहे। वे कहते हैं की तुम्हे थकान से उबारने के लिए मैं अपनी आँखे फेर लेता हूँ ताकि तुम भी मुझे एकटक देखने के श्रम से बच सको। कवि कहते हैं की क्या हुआ यदि तुम मुझे पहचान नही पाए। यदि आज तुम्हारी माँ न होती तो आज मैं तुम्हारी यह मुस्कान भी ना देख पाता। वे अपनी पत्नी का आभार जताते हुए की तुम्हारा मेरा क्या सम्बन्ध यह तुम इसलिए नही जानते क्योंकि मैं इधर उधर भटकता रहा, तुम्हारी ओर ध्यान ना दिया। तुम्हारी माँ ने ही सदा तुम्हें स्नेह-प्रेम दिया और देखभाल किया। पर जब भी हम दोनों की निगाहें मिलती हैं तब तुम्हारी यह मुस्कान मुझे आकर्षित कर लेती हैं।

फ़सल

इस कविता में कवि ने फसल क्या है साथ ही इसे पैदा करने में  किनका योगदान रहता है उसे स्पष्ट किया है। वे कहते हैं की इसे पैदा करने में एक नदी या दो नदी का पानी नही होता बल्कि ढेर सारी नदियों का पानी का योगदान होता है अर्थात जब सारी नदियों का पानी भाप बनकर उड़ जाता है तब सब बादल बनकर बरसते हैं जो की फसल उपजाने में सहायक होता है। वे किसानों का महत्व स्पष्ट करते हुए कहते हैं की फसल तैयार करने में असंख्य लोगों के हाथों की मेहनत होती है। कवि बताते हैं की हर मिटटी की अलग अलग विशेषता होती है, उनके रूप, गुण, रंग एक सामान नही होते। सबका योगदान फसल को तैयार करने में है।

कवि ने बताया है की फसल बहुत चीज़ों का सम्मिलित रूप है जैसे नदियों का पानी, हाथों की मेहनत, भिन्न मिट्टियों का गुण तथा सूर्य की किरणों का प्रभाव तथा मंद हवाओं का स्पर्श। इन सब के मिलने से ही हमारी फसल तैयार होती है।


 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 HINDI CHAPTER 5

यह दंतुरित  मुस्कान

प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 41)

प्रश्न 1 बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा था। वह उसके सुंदर और मोहक मुख पर छाई मनोहारी मुसकान से प्रसन्नता में भर उठा था। उसे ऐसा लगा था कि वह धूल-धूसरित चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान था जो उसकी झोपड़ी में आ गया था। कवि उसे एकटक देखता ही रह गया था। उसकी मुसकान ने उसे अपनी पत्नी के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर देने के लिए विवश-सा कर दिया था।

प्रश्न 2 बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?

उत्तर- बच्चे तथा बड़े व्यक्ति की मुसकान में निम्नलिखित अंतर होते हैं-

1.   बच्चे की मुसकान सरल और स्वाभाविक होती है वहीं बड़ों की मुसकान में बनावटीपन होता है।

2.   बच्चे की मुसकान भोली और स्वार्थरहित होती है वहीं बड़ों की मुसकान कुटिल और स्वार्थी होती है।

3.   बच्चे की मुसकान निष्काम और निश्छल होती है वहीं बड़ों की मुसकान उसकी परिस्थितियाँ के अनुसार तय होती है।

प्रश्न 3 कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है?

उत्तर- कवि नागर्जुन ने बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को जिन बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया है, वे निम्नलिखित हैं:-

1.   मृतक में भी जान डाल देना।

2.   कमल का तालाब छोड़कर झोपड़ी में खिलना।

3.   बाँस या बबूल से शेफ़ालिका के फूलों का झड़ना।

4.   स्पर्श पाकर पाषाण का पिघलना।

5.   तिरछी नज़रों से देख कर मुसकाना।

प्रश्न 4 भाव स्पष्ट कीजिए-

a.   छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।

b.   छू गया तुम से कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?

उत्तर-

a.   कवि को ऐसा लगा कि उस छोटे बच्चे की अपार सुंदरता तो ईश्वरीय वरदान के समान थी। वह धूल-धूसरित अंग-प्रत्यंगों वाला तो जैसे तालाब में खिले कमल के समान मोहक और मनोरम था जो उसकी झोपड़ी में आकर बस गया था।

b.   उस छोटे दंतुरित बच्चे का ऐसा मनोरम रूप था कि चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो पर उसे देख मन ही मन प्रसन्नता से भर उठता था। चाहें बाँस के समान हो या कांटों भरे कीकर के समान, पर उसकी सुदंरता से प्रभावित हो वह उसकी ओर देख मुस्कराने के लिए विवश हो जाता था।

रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 41)

प्रश्न 1 मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।

उत्तर- मुसकान और क्रोध परस्पर विलोम भाव हैं। मुसकान से चेहरा आकर्षक, मन में प्रसन्नता और वातावरण में उल्लास भर जाता है। मुसकान कठोर एवम् भावशून्य हृदय वाले को भी कोमल और भावयुक्त बना देती है। इसमें पराए को भी अपना बना लेने की अद्भुत क्षमता होती है। जबकि; ठीक इसके विपरीत क्रोध से चेहरा भयानक, मन अशान्त और वातावरण तनावयुक्त बन जाता है। क्रोध से हृदय कठोर और संवेदनहीन हो जाता है। लोगों में भय और आतंक उत्पन्न हो जाता है, जिससे गैर तो गैर और अपने भी पराए बन जाते हैं।

प्रश्न 2 दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर- बच्चों के दाँत मुख्यत: 9 महीने से लेकर एक साल में आने लगते हैं। कई बार इससे कम या अधिक समय भी लग जाया करता है, परन्तु यहाँ माँ उँगलियों से मधुपर्क करा रही है। अत: बच्चे की आयु लगभग 1 वर्ष की लगती है। बच्चा अपनी निश्छल दंतुरित मुसकान से सबका मन मोह लेता है।

प्रश्न 3 बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- कितना सुंदर है वह बच्चा। छोटा-सा है, एक साल से भी छोटा होगा। कमल के फूल के समान उसका मोहक चेहरा है। मिट्‌टी में खेलता है, इधर-उधर कच्चे गन में रेंगता रहता है। सारे शरीर पर धूल लगी हुई है। कवि लंबे समय के बाद पर लौटा है। अपनी बच्चे के बारे में उसे अपनी पत्नी से पता लगा है। वह भाव-विभोर है। एक टक उस बच्चे की ओर निहार रहा है। वह उसकी मोहक ‘दंतुरित मुसकान’ पर तो मंत्र-मुग्ध है। बच्चा उसे पहचानना चाहता है पर पहचान नहीं पाता-छोटा है न, शायद उसने उन्हें पहली बार देखा है, वह कनखियों को अनजाने से अतिथि को देखता है पर क्रोध करता नहीं है-बस मुसकराता है। कवि को लगता है कि इस बच्चे की मुसकान तो पत्थर को भी पिघला देने की क्षमता रखती है। कठोर-से-कठोर व्यक्ति भी इसकी मोहक मुसकान पर मर मिट सकता है।

फसल

प्रश्न-अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 42)

प्रश्न 1 कवि के अनुसार फसल क्या है?

उत्तर- कवि के अनुसार फसल ढेर सारी नदियों के पानी का जादू, लाखों लोगों के हाथों के स्पर्श की गरिमा तथा भिन्न प्रकार की मिट्टी के गुण, सूर्य की किरणों और वायु की मंद गति का परिणाम है। यानी फसल मनुष्य और प्रकृति दोनों के मिलकर कार्य करने से उपजता है।

प्रश्न 2 कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?

उत्तर- प्रस्तुत कविता में कवि ने फसल उपजाने के लिए मानव परिश्रम, पानी, मिट्टी, सूरज की किरणों तथा हवा जैसे तत्वों को आवश्यक कहा है।

प्रश्न 3 फसल को ‘हाथों से स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर क्या व्यक्त करना चाहता है?

उत्तर- कवि ने लाखों-करोड़ों लोगों के द्वारा किए जाने वाले परिश्रम और उनकी एक निष्ठ लग्न के लिए ‘हाथो के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहा है। फसल उत्पन्न करना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। न जाने कितने दिन-रात मेहनत करके इसे उगाने का गौरव प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 4 भाव स्पष्ट कीजिए-

रूपांतर है सूरज की किरणों का

सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों का तात्पर्य यह है कि फसल के लिए सूरज की किरणें तथा हवा दोनों का प्रमुख योगदान है। वातावरण के ये दोनों अवयव ही फसल के योगदान में अपनी-अपनी भूमिका अदा करते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न (पृष्ठ संख्या 42)

प्रश्न 1 कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-

a.   मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?

b.   वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?

c.   मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

d.   मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?

उत्तर-

a.   किसी भी फसल की उपज मिट्टी के उपजाऊ होने पर निर्भर करती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति जितनी अधिक होगी। फसल का उत्पाद भी उतना ही अधिक होगा।

b.   वर्तमान जीवन-शैली प्रदूषण उत्पन्न करती है। प्रदूषण मिट्टी के गुण-धर्म को प्रभावित करता है। नए-नए खाद्यों के उपयोग से प्लास्टिक के ज़मीन में रहने से, प्रदूषण से मिट्टी की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है और मिट्टी का मूल स्वभाव बदलकर विकृत हो जाता है। इसका बुरा प्रभाव फसल की उपज पर पड़ रहा है

c.   अगर मिटटी ने अपना गुण-धर्म छोड़ दिया तो धरती से हरियाली का, पेड़-पौधे और फ़सल आदि का नामोनिशान मिट जाएगा। इनके अभाव में तो धरती पर जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती।

d.   मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हम मिट्टी को प्रदूषण से बचाकर, वृक्षारोपण कर, मिट्टी के कटाव को रोकने की व्यवस्था कर फसल-चक्र चलाकर, कम से कम मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करके हम मिट्टी के गुण-धर्म का का पोषण कर सकते हैं।

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